काश ये दुनिया छोड़ देता

23 Jul

Wonderful poem by a great friend… http://sthedeadone.blogspot.in/

हर दिन कोशिश यही करता
चूका देता उधार यहाँ के
न इसका कोई क़र्ज़ मुझपे होता
शुन्य सा जीवन करके
काश ये दुनिया छोड़ देता

इसी तमन्ना में ढूढता फिरता इधर- उधर
हर तरीका आजमाता ,उधर कर्ज़ बढ़ता ही जाता
शुन्य सा जीवन करने चला,समंदर सा होता जाता
लहर के हिलोरें मुझे इसी दुनिया में पटक देती

हर दिन कोशिश यही करता
काश ये दुनिया छोड़ देता …

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